कार्तिक, उम्र तीस वर्ष, पेशे से एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं और फोटोग्राफी उनकी रुचि का विषय है। सामान्यत उनको सप्ताह में 45 से 50 घंटे पेशेवर कार्य में व्यस्त रहना होता है। यद्यपि वे अपने स्वास्थ के प्रति उत्साहशील रहते हैं, फिर भी अति व्यस्तता के कारण उनको अपने शरीर को सही दशा में रखने के लिए कुछ करने का कम ही समय मिलता है। कंप्यूटर के सामने लंबे समय तक बैठे रहने के, और उसमें भी बहुत कम विश्राम के क्षण और ऊपर से लक्ष्य हासिल करने के लिए तनावपूर्ण समय सीमाएँ, इन सब के कारण कार्तिक अब पीठ दर्द, थकान और कब्ज का शिकार हो गए हैं।

जीवन के इस पड़ाव पर, जब किसी से भी समर्पित होकर कार्य करने की अपेक्षा की जाती है, हम प्राय: अपने स्वास्थ्य से समझौता कर बैठते हैं। यद्यपि बहुत लोग इस बात से सहमत होंगे कि एक अच्छी व्यायामशैली अपनाने से इस प्रकार के जोखिमों से बचा जा सकता है, फिर भी संभवतः यह पर्याप्त नहीं होगा। एक उचित एवम् स्वास्थ्यकर आहार दिनचर्या को भी इसमें शामिल करना चाहिए। चाहे आप जीवन में कितने भी व्यस्त हों, आप उपयुक्त भोजन का चुनाव करके इन आशंकाओं को कम कर सकते हैं। 

लेकिन, क्या केवल उपयुक्त भोजन का चुनाव कर लेना ही पर्याप्त है? इसका उत्तर यकीनन “नहीं” ही है। उपयुक्त भोजन के साथ साथ हमें खाने की अच्छी आदतें भी अपनानी पड़ेंगी। यद्यपि इसके लिए कोई मानक दिशानिर्देश नहीं हैं, तथापि अच्छी खानपान आदतों के लिए  “यह करें” और “ यह न करें” जैसे कुछ सरल उपाय अवश्य हैं।

1. आप क्या खा रहें हैं, इस पर ध्यान दें

आप वर्तमान में कैसा आहार ले रहे हैं, इस पर ध्यान दें। ऐसा क्या है जो आप अधिक मात्रा में खा रहे हैं? क्या आप ऐसा भोजन ले रहे हैं जिसमें कैलरीज़ की मात्रा अधिक है और क्या आपके पास उसे खर्च करने का पर्याप्त समय है? अगर ऐसा है तो संभवतः आपको कुछ ऐसा विकल्प देखना चाहिए जिसमें वसा की मात्रा कम हो और जो सुगमता से पाच्य हो। साथ ही साथ नित्य प्रति चंद मिनट के लिए कुछ साधारण योगासन करने से भी अतिरिक्त कैलरीज़ को खर्च करने में सहायता मिल सकती है।

सुझाव: स्वस्थ भोजन के लिए खाना पहले ही बना लें और सुनिश्चित कर लें कि इसमें उपयुक्त होने वाली सभी सामग्री घर में उपलब्ध है। तब इसको बनाना आसान होगा और समय भी कम लगेगा।  

2. हरी पत्तेदार सब्जियाँ अपनाएँ

अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। यह प्रोटीन, लोहतत्त्व, कैल्शियम तथा फाइबर का उत्तम स्रोत हैं। हरी पत्तेदार सब्जियाँ बनाने में आसान और पचाने में सुगम होती हैं।

सुझाव: हर बार अपने खाने की थाली में अधिक से अधिक रंगों को शामिल करने का प्रयास करें। सर्वोत्तम होगा यदि आप छः के छः स्वादों (मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा, तीखा, कसैला) को दिन में कम से कम एक बार अपने खाने में सम्मिलित करें।

3. जानिए कब पानी पीना चाहिए

हमारे शरीर की अपनी दैनिक खनिज आवश्यकताओं का महत्त्वपूर्ण भाग पानी से प्राप्त होता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर के टॉक्सिन बाहर निकालने में भी सहायता मिलती है और हमारी त्वचा भी चमकदार बनती है। परंतु, भोजन खाते हुए पानी पीने से बचें क्योंकि यह पाचन क्रिया को शिथिल बनाता है। भोजन खाने से 30 मिनट पहले अथवा 30 मिनट पश्चात पानी पीने की अनुशंसा की जाती है। जी हाँ, पानी पीने की सही विधि अपनाना भी अच्छी खानपान आदतों का सुदृढ़ आधार बनाता है।

सुझाव: प्रातः उठने के तुरंत पश्चात् व दांत ब्रश करने से पहले एक गिलास पानी अवश्य पिएँ। मुँह में एकत्रित प्रातःकल की लार (सलाइवा) पाचन के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। सुबह के समय पानी पीने (जिसे आयुर्वेद की भाषा में ऊषापान कहा जाता है) से सिस्टम में से टॉक्सिन निकालने में, आँतों को साफ करने में और शरीर को रोगमुक्त करने में सहायता मिलती है।

4. अपने आहार में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन सम्मिलित करें

प्रोटीन हमारे शरीर के लिए अत्यावश्यक हैं, अतः इनको आहार में अवश्य ही सम्मिलित करना चाहिए। ब्रोकली, सोयाबीन, दालें, शतावरी (ऐस्परैगस) तथा पालक प्रोटीन से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थ हैं। कम वसा वाले डेयरी उत्पाद भी प्रोटीन के उत्तम स्रोत हैं। सुनिश्चित करें कि आपके शरीर को प्रोटीन की दैनिक आवश्यकता निरंतर मिलती रहे।

सलाह : आपके आहार का एक चौथाई (25%) भाग अच्छे प्रोटीन के रूप में आना चाहिए। यदि आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो इस मात्रा को 5 प्रतिशत से बढ़ाया जा सकता है।

5. भोजन को अच्छे से चबा कर खायें

आपने कभी गाय को अपना भोजन चबाते हुए देखा है? वह कम से कम 40 से 50 बार चबाती है।

भोजन को सरलता से पचाने का सबसे कारगर उपाय है उसे अच्छे से चबा कर खाना। अधिकतर लोग भोजन को जल्दी जल्दी में ही खाते हैं और चबाना तो भूल ही जाते हैं। यद्यपि हम जो कुछ भी खाते हैं, आखिरकार पच ही जाता है किंतु जो निवाला हम ठीक से चबाए बिना निगल जाते हैं, उसे पचने में अधिक समय लगता है और यह पाचन तंत्र को थका भी देता है। इसके अतिरिक्त, जितना हम भोजन को चबा कर खाते हैं, हमारे आमाशय को उतनी ही कम मेहनत करनी पड़ती है तथा इस प्रक्रिया में आपके जबड़ों को अधिक चलाने के कारण आप अपनी कैलरीज को भी नष्ट कर रहे होते हैं। यह छोटे छोटे कदम, जैसे चबाने की सही विधि, अपनाने से भोजन करने की एक स्वस्थ आदत को बनाने में भी सहायता मिलती है।

सलाह: प्रत्येक निवाले को 32 से 40 बार तक चबाएँ ताकि उसकी महीन लेई बन कर पेट में पहुंचे और वहां पाचन तंत्र उस पर अपना कार्य कर सके। इसी प्रकार पानी और अन्य तरल पदार्थों को भी घूंट घूंट में पियें और निगलने से पहले उसे अपने मुंह में अच्छे से घुमायें। ऐसा करने से हमारा लार, जिसमें बहुत से पाचक रस होते हैं, सक्रिय हो जाता है।

6. फास्ट फूड तथा शीतल पेय पदार्थों से दूरी बनायें

यद्यपि, यह आपकी जिह्वा को स्वादिष्ट लग सकते हैं, परंतु ऐसे भोज्य पदार्थ शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। अस्वास्थ्यकर होने के साथ साथ इनमें ट्रांस वसा जैसे हानिकारक वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके अतिरिक्त कार्बोनेटेड शीतल पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिसके सेवन से मोटापा, मधुमेह तथा दंत-क्षय जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। इन जैसे हानिकारक पेय पदार्थों के स्थान पर छाछ और नींबू पानी जैसे पेय लेना हमें तरोताजा कर सकता है।

सलाह : संतरे, अँगूर, नींबू तथा तुलसी अथवा पुदीने जैसी जड़ी बूटियों को कुछ घंटे तक पानी में डुबो कर रखें और फिर उन्हें पिएँ। नींबू और खीरा पानी को क्षारीय बनाते हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभप्रद है। बोतल बंद शीतल पेय के स्थान पर यह विकल्प आपको बहुत पसंद आएँगे। अच्छी खानपान की आदतें बनाने के लिए इससे आसान तरीका और क्या हो सकता है!

7. भोजन घर पर पकायें

पड़ोस में नुक्कड़ की दुकान से पिज़्ज़ा मँगवाने की बजाए अपनी रसोई का इस्तेमाल करें और अपना मनपसंद व्यंजन, जो आप चाह रहे हैं, घर पर ही बनाएँ। घर पर भोजन पकाना समय का एक उत्तम उपयोग है क्योंकि यह आपको अपने परिवार के साथ अधिक गुणात्मक समय व्यतीत करने का अवसर प्रदान करता है। परिवार में हर सदस्य स्वस्थ खानपान की आदतें पाल सके, यह सुनिश्चित करने का भी यह एक अति उत्तम उपाय है। साथ ही साथ, खाते समय फ़र्श पर अथवा कुर्सी पर चौकड़ी मार कर बैठना भी एक अच्छा विचार है। इसका प्रयास करें। 

सलाह : सुखासन में रीढ़ की हड्डी को सीधा कर के बैठना, कुर्सी में झुक कर बैठने की अपेक्षा अधिक सरल है। झुक कर बैठने से पेट के आस पास के अंग भी टेढ़े मेढ़े रहेंगे जबकि सीधी रीढ़ के साथ बैठने से पेट भी सही अवस्था में रहता है, जिससे भोजन पचने में सहायता मिलती है। एक अच्छा व स्वस्थ आसन हमारी मांसपेशियों तथा जोड़ों पर पड़ने वाले तनाव में भी कमी लाता है।

8. अपना ध्यान भोजन पर ही रखें

हम में से अधिकतर लोग प्राय: भोजन खाते समय या तो टेलीविजन देखते रहते हैं या मोबाइल में कुछ टाइप करते रहते हैं और इस पर ध्यान ही नहीं देते कि हमने कितना खा लिया है। आपका पेट तो भर जाता है परंतु आपका दिमाग कहता है कि अभी खाते रहो और इस प्रकार आप आवश्यकता से कहीं अधिक खा जाते हैं। यदि आप खाते समय अपना ध्यान खाने में ही रखेंगे तो आप उतना ही खायेंगे जितना शरीर के लिए आवश्यक है। इसलिए अगली बार जब आप खाने बैठें तो टेलीविजन का रिमोट और अपना मोबाइल फोन कुछ समय के लिए दूर रख कर बैठें।

सलाह: यह सर्वश्रेष्ठ होगा यदि आप अपने भोजन के लिए 20-30 मिनट का समय निकाल कर बैठें। कभी भी जल्दी में न खाएँ, अन्यथा आप आवश्यकता से अधिक ही खा लेंगे। अपने भोजन काल को आराम करने, अपने में नयापन लाने और जीवन को उत्सव मनाने की भाँति उपयोग करें।

9. सुबह का नाश्ता कभी न चूकें

सुबह का नाश्ता संभवतः दिन का सबसे महत्त्वपूर्ण आहार है क्योंकि इस समय शरीर दिन भर के लिए स्वयं को तैयार करता है। सुनिश्चित करें कि सुबह घर से निकलने से पहले आपने एक पौष्टिक तथा गरिष्ठ नाश्ता ले लिया है।

सलाह : अपने खाना खाने के समय निश्चित और नियमित रखें। ऐसा करने से पेट उन उन समय पर भोजन पचाने वाले अम्लीय तरलपदार्थ स्रावित करने का आदि हो जाता है जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है। यदि हम निश्चित समय पर भोजन नहीं खाते तो हमारा पेट भ्रांति में रहता है जो पाचन तंत्र पर दुष्प्रभाव डालता है।

10. अपनी पाचन शक्ति को बढ़ायें

जहां एक ओर यह महत्त्वपूर्ण है कि हम क्या खायें और कितनी मात्रा में खायें, वहीं यह भी लाभप्रद होगा कि हम अपनी पाचन शक्ति को भी बढ़ाएँ। यहां भोजन करने के उपरांत कुछ समय के लिए वज्रासन में बैठना हितकर होगा। इस योगासन में बैठने से पेट के निचले हिस्से में रक्त संचालन बेहतर होता है जिससे पाचन क्रिया में सुधार होता है।

सलाह:  किसी खाद्य विशेषज्ञ से परामर्श कर के आप कुछ प्रीबायोटिक्स तथा प्रोबायोटिक्स का सेवन करें। प्रीबायोटिक्स हमारे पेट में अच्छे बैक्टीरिया के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं। प्रोबीयोटिक्स के नियमित सेवन से आप बहुत से लाभकारी बैक्टीरिया पेट में जमा कर सकते हैं।

अच्छे खानपान की आदत हमारे व्यक्तित्व को निखारती है। इसलिए पुराने काल में ऋषि मुनि लोग सात्त्विक भोजन ही खाते थे। सदैव याद रखें – “जैसा भोजन आप करते हैं, वैसे ही आप बनते हैं।” (जैसा अन्न वैसा मन)। अतैव, अच्छी खानपान आदतों को अपनायें, बुद्धिमता से अपने भोजन को चुनें तथा स्वस्थ भोजन की आदतों को विकसित करें।

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