जब आप एक बच्चे की परवरिश कर रहे होते हैं, तो एक तरह से आप अपने भीतर उपस्थित एक माता या पिता की परवरिश कर रहे होते हैं। यदि आप अपने आपको एक खुशहाल माता या पिता बनाने में सफल हैं, तो फिर आप पूरी तरह से आश्वस्त हो जा आप एक खुशहाल बच्चे की परवरिश कर सकेंगे।

आमतौर पर, बचपन में, दूसरों की तुलना में बच्चे अपने माता-पिता से अधिक प्रभावित होते हैं। यदि माता-पिता स्वाभाव से गंभीर हैं, तो बच्चे भी वैसे होंगे। यदि माता-पिता हंसमुख होते हैं तो बच्चे भी उनका अनुसरण करते हैं।

बच्चों की परवरिश से जुड़े अपने कुछ रहस्य मैं आपसे साझा करने को उत्साहित हूँ।

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी को छोटे बच्चों को सँभालने के सबसे अच्छे तरीके समझाते हुए देखें। छोटे बच्चों को सँभालने के लिए गुरुदेव के जो उपाय हैं उनमें  माता-पिता का अपने बच्चों के साथ विशिष्ट समय बिताना भी शामिल है।

बच्चों के नटखटपन को प्रोत्साहन दें।

शरारती होना न केवल स्वीकार्य होना चाहिए बल्कि शरारती बनने केलिए भी बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए। जब बच्चे छोटी-मोटी शरारतें करते हैं , तो वो दूसरों के चेहरे पर ख़ुशी और आश्चर्य को देख कर खुद भी आनंदित होते हैं। नटखटपन से उनका व्यक्तित्व खिल उठता है।

हर शाम मेरा १० साल का बेटा अपने पिता के आते ही छुप जाता था। वह चाहता था कि उसके पिता उसे ढूंढ निकालें। मेरे कहने पर, वह अलग-अलग जगहों में छुपता। इस के द्वारा उसके नटखटपन में सृजनशीलता आ गई। एक शाम वह बालकोनी में रखे अप्रयुक्त वाटर कूलर के अंदर छुप गया, इससे उसके पिता को उसे ढूंढने में बहुत समय लग गया। एक विनोदपूर्ण ढंग में उसने कहा, “माँ! मुझे पापा को सिखाना पड़ेगा कि मुझे कैसे ढूँढना है। पापा को मेरे छिपने की जगह का पता लगाने में बहुत समय लगता है। मुझे प्यास लगती है, और पसीना आता है।”

अपने बच्चों को विभिन्न प्रकार की शरारतें करने को कहें। उनसे कहें कि अगर वो एक ही प्रकार की शरारतें करते रहेंगे, तो लोगों को पता चल जाएगा। अतः उन्हें विभिन्न प्रकार से नटखट होने दें। इससे उन्हें अपनी रचनात्मकता प्रकट करने में मदद मिलेगी। अवश्य ही, यह सारा मज़ा करते हुए उन्हें इस बात का ख्याल रखना होगा कि, इससे कोई नाराज़ न हो जाए अथवा किसीका कोई नुकसान न हो। किसी को दुख पहुंचकर मिलने वाली चीज़ मज़ाक नहीं हो सकती।

ऐल ओ एल (लाफ आउट लाउड)

मेरे पहले परिवर्णी शब्द, ऐल ओ एल से मेरा परिचय मेरा बेटे ने कराया था। आजकल सोशल मीडिया संप्रेषण में यह सबसे अधिक बोले जाने वाले शब्दों में से एक है। मैं इसे बहुत पसंद करता हूँ। क्या आप जानना चाहते हैं क्यों? मैं अपने बेटे से कहता था, “भले सबकुछ बिखर जाए , लेकिन हमारी सर्वप्रथम प्रक्रिया हंसी होनी चाहिए।” आनंद का उपोत्पाद है हंसी। इसीलिए, यदि आप हँसते हैं, तो आप जीवन में कुछ परम को प्राप्त कर सकते हैं। उपरोक्त पंक्तियाँ कई लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ रही हैं।

अपने बच्चों की उदासीनता को संवेदना में बदलने में उनकी सहायता करें

  • अपने बच्चों से दूसरों की भावनाओं, शारीरिक भाषा, चेहरे के भाव, उनके शब्दों एवं स्वर पर ध्यान देने के लिए कहें।.
  • कुछ कहने या करने से पहले उन्हें सोचने को कहें। उन्हें इस बात की कल्पना करने दें कि, उनकी स्थिति पर दूसरे क्या प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
  • उन्हें इस बात का ज्ञान कराएं कि हर एक व्यक्ति अलग है तथा वे सब अलग अलग ढंग से प्रतिक्रिया करेंगे।
  • ऐसी परिस्थिति जिससे आपके बच्चे को कोई लेना-देना न हो, उसमें भी दूसरों की मदद के लिए खड़े होना है क्यूंकि आप तब भी सहायता कर सकते हैं; इस दिशा में उनका मार्गदर्शन करें।

आर्ट ऑफ़ लिविंग के चिल्ड्रन & टीन्स प्रोग्राम, मेधा योग लेवल १ में सहानुभूति एवं पारस्परिक कौशल विकसित करके खुशहाली लाएं। मेरी सहेली डिम्पल कहती हैं, “अब मेरे बच्चे  ये अच्छे से जानते हैं कि दूसरों को किस प्रकार की प्रतिक्रिया देनी है (क्या कहना या करना चाहिए जो दूसरों के लिए सहायक हो सके)। उन्हें इस बात का अंदाज़ा होता है की सामनेवाला क्या महसूस कर रहा होगा। उनमें अपनापन है। दूसरों के जीवन में ख़ुशी लाने पर मेरे बच्चों को भी ख़ुशी होती है।.”

गुरुदेव द्वारा लिखित “अपने बच्चे को जानें – बच्चों की परवरिश की कला” (Know Your Child- The Art of Raising Children) पर आधारित।

अनुशंसित पाठ:

“किसी से कुछ मत लो” – गुरुदेव श्री श्री रविशंकर। अपमान से निपटने के बारे में अधिक जानकारी।

“एक किशोर की चुनौतियाँ तथा माता-पिता उनके व्यावहारिक अंतर को स्वीकार करना किस प्रकार सीख सकते हैं।” – यह लेख सुश्री वेन्नेला नन्दूरी के द्वारा लिखित है, वे एक शिक्षाउद्यमी तथा आर्ट ऑफ़ लिविंग चिल्ड्रन & टीन्स शाखा की एक सहभागी निर्देशक हैं।

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