यदि आपको एक किशोर को संभालना सीखना है तो आपको घुड़सवारी आनी चाहिए। सबसे पहले आपको लगाम डालनी होगी और आप इसे सदा कसकर नहीं रख सकते, कभी-कभी आपको इसे ढ़ीला भी छोड़ना होगा। साथ ही, आप लगाम को पूरी तरह से छोड़ भी नहीं सकते। तरकीब यह है: उन्हें खुश करने की कोशिश मत करो और उन्हें नाराज भी मत करो। वे भावनात्मक व शारीरिक रूप से बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं और आपको उन्हें बहुत कुशलता से संभालना होगा। सवाल यह है कि कैसे?

1. उन्हें अपनी भावनाओं को आपके साथ साझा करने के लिए स्थान दें

संस्कृत में एक पुरानी कहावत है: “जब आपका बेटा या बेटी सोलह साल के हो जाएं, तो उनके साथ एक दोस्त की तरह व्यवहार करें”। उनके शिक्षक न बनें, उन्हें यह न बताएं कि क्या करना है या क्या नहीं करना है। उन्हें अपने दिल की बात और अपनी समस्याएं आपके साथ साझा करने का मौका दें। ऐसे मित्र बनें जो उनके जैसा हो।
यदि आप माता-पिता के रूप में नहीं बल्कि एक मित्र के रूप में संबंध बनाते हैं तो वे आपसे खुलकर बात करेंगे। तब दूरियां मिट जाती हैं। एक बार जब दूरियां मिटा दी जाती है, तो प्यार बहता है और बातचीत होती है। और एक बार बातचीत होने लगे तो वस्तुतः सभी समस्याएं हल हो जाती हैं।

2. उनके साथ प्रेरक कहानियाँ साझा करें

समय-समय पर अपने किशोरों के साथ, बिना अधिक दबाव डाले, प्रेरणादायक कहानियाँ साझा करना महत्वपूर्ण है। उन्हें उन किशोरों के संपर्क में लाना भी महत्वपूर्ण है जो भटक गए हैं। जो लोग पथ भटक गए हैं, वे आपको उन लोगों से अधिक शिक्षा देते हैं जो पथ पर हैं। अपने किशोर को मृदुता से बताएँ: “देखो, वह लड़का ऐसी स्थिति से गुजरा है, बेहतर होगा कि तुम सावधान रहो।”

3. उन पर दोषारोपण न करते हुए उन्हें समझाएं

अपने किशोर से संवाद करते समय आपको कुशल होने की आवश्यकता है। बहुत धैर्य के साथ, दोष न देते हुए, उन्हें समझाएं। और जब आवश्यकता हो तो दृढ़तापूर्वक ना भी कहें। कभी-कभी उन्हें निराश करना ठीक है, इसके लिए दोषी महसूस न करें। भविष्य में वे आपके प्रति आभारी होंगे। वे उनसे दोष और क्रोध को हटाने के लिए आपके द्वारा उठाए गए कष्टों की सराहना करेंगे।

4. अपने बच्चे के गुस्से या हताशा को निगलने के लिए तैयार रहें

माता, पिता और शिक्षक को बच्चे के गुस्से को निगलना पड़ता है। आपको उनके गुस्से या हताशा को निगलने के लिए तैयार रहना होगा। यदि आपका बच्चा आपसे बहुत नाराज है, तो भी आप इसे स्वीकार करें और वही करें जो उनके लिए अच्छा है, न कि सिर्फ वही जो उन्हें प्रसन्न करता है। जान लें कि आपको हमेशा कोई न कोई रास्ता मिल ही जाएगा!

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