सबसे पहले, क्या आप जानते है कि तनाव क्या है? काम बहुत है परन्तु समय और ऊर्जा कम। जब काम बहुत हो तथा समय और ऊर्जा कम, तब हमें तनाव होता है।

अपनी ऊर्जा के स्तर को कैसे बढायें?

  1. सही मात्रा में भोजन – न तो बहुत ज्यादा और न ही बहुत कम।
  2. सही मात्रा में नींद – 6 से 8 घण्टे, न ज्यादा, न कम।
  3. कुछ श्वसन प्रक्रियाओं को सीखकर – यह हमारी ऊर्जा बढ़ाती है।
  4. कुछ क्षणों का ध्यान सभी प्रकार के तनाव से मुक्त करता है। अगर आप सुबह और शाम, 15 से 20 मिनट के लिए ध्यान करते है, इतना भी काफी है। यह आपको पूरा दिन सक्रिय और सकारात्मक रखेगा।

कोई भी कार्य करते समय पहली ही बार होता है लेकिन तनाव तो हमें बार बार होता रहता है।

यदि आप अपने भूत काल को देखें तो आप अनुभव करेंगे कि आप अनेक बार ऐसी स्थितियों में उलझे हैं जैसे कि सब समाप्त हो गया या अब बस सब खत्म। लेकिन आप उन सभी स्थितियो का सामना करके आज भी जीवित हैं। याद करें कि आपने भूतकाल में अनेक चुनौतियों का सामना कर के उन पर विजय प्राप्त की है। आप यह आत्मविश्वास रखें कि आप इन चुनौतियों का आज भी सामना कर के आगे बढ़ सकते हैं।

अपना दृष्टिकोण विशाल करे। ब्रह्माण्ड में चीजें अलग अलग नियमों के अधीन होती है।

आपने ध्यान दिया होगा कि आप लोगों के साथ बहुत अच्छे है फिर भी कुछ लोग अचानक ही आपके दुश्मन बन गये। आपके मित्र आपके शत्रु बन गये। और इसका उल्टा भी होता है: किसी के लिए आपने कभी कुछ बड़ा नहीं भी किया होगा, तो भी वे आपकी मदद करते है, जब आपको सचमुच जरूरत रही। इसलिए मित्रता या शत्रुता, ब्रह्माण्ड के विशेष नियम के अधीन होती है और इसे कर्म कहते है। जब आपका समय अच्छा हो, आपका कट्टर शत्रु भी मित्र की तरह व्यवहार करता है और जब समय बुरा हो, आपका अच्छा मित्र भी शत्रु की तरह व्यवहार करता है। इसलिए चीजों को बड़े आयाम में रहकर देखें और धीरज रखें  कि ये वक्त भी बीत जाएगा।

धैर्य रखें – यह भी बीत जाएगा।

कभी कभी हमें सब कुछ छोड़ देने का मन होता है; हम निराश होते हैं। यह तनाव के कारण होता है। उस वक्त कोई निर्णय न लें। आपको पछतावा हो सकता है। पहले आत्मस्थित हो जाएँ। थोड़ा समय अपने स्वरूप में टिकने से भी आप तनाव रहित हो सकते हैं। 

पैदल निकल पड़े, बैठे और सूर्यास्त को निहारें।

हो सकता है आप शहरी क्षेत्रों में, चारों ओर बड़ी बड़ी इमारतों के पीछे के सूर्यास्त को न देख पाए। किंतु यथा संभव, प्रकृति के साथ रहने से, बच्चों के साथ खेलने आदि से भी सहायता मिलती है। परन्तु हम सोफे पर आराम से बैठकर अस्वस्थ्यकर खाद्य पदार्थो का सेवन करते हुए टेलीविजन देखते रहते है। यह समाज के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। हमें एक स्वस्थ समाज के लिए अपनी आदतें बदलनी होंगी।

तनाव को, इसके शुरू होने के पहले ही रोकें।

ऐसी कहावत है कि “आप रणक्षेत्र में रहकर धनुष बाण चलाना नहीं सीख सकते”। आपको तीरंदाजी उस स्थिति में पहुंचने के पहले ही सीखनी होती है। तो जब भी आप तनाव में हो, उस तनाव के क्षण में राहत पाने वाली चीजों को करना और मुश्किल हो जाता है, लेकिन आपको पहले कुछ तो करना होगा ताकि आप तनाव के उस स्तर तक बिल्कुल नहीं जा पाए; तब आपको तनाव नहीं होगा।

अत: तनाव से मुक्ति के लिए आपको जो मदद करता है, वो है, आप जो व्यवहार करते है उसमे बदलाव, खानपान की आदतों में बदलाव, और जीवन की समझ में परिवर्तन, सम्प्रेषण योग्यता और आलोचनाओं को सहने और सुनने की आपकी क्षमता…..सामान्यतः आपका जीवन के प्रति दृष्टिकोण ही सब कुछ परिवर्तित कर सकता है।

आर्ट ऑफ लिविंग के हैप्पीनेस प्रोग्राम की आधारशिला, सुदर्शन क्रिया™ तकनीक ने तनाव कम करने, बेहतर विश्राम पाने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु दुनिया भर में लाखों लोगों की मदद की है। येल और हार्वर्ड सहित चार महाद्वीपों पर किए गए अध्ययन और सहकर्मी-समीक्षित पत्रिकाओं में प्रकाशित अध्ययनों ने कोर्टिसोल, तनाव हार्मोन, में कमी से समग्र जीवन संतुष्टि बढ़ाने तक लाभों की व्यापक श्रृंखला प्रदर्शित की है।

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