विभिन्न मसाले अपने औषधीय गुणों के कारण स्वाद, सुगंध, दवा और भोजन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। व्यंजन संबंधी उपयोग आम तौर पर मसाले से जड़ी-बूटियों को अलग करता है। जड़ी-बूटियाँ, पौधे (ताजा या सूखे) के हरे पत्ते या फूलों वाले हिस्से को संदर्भित करती हैं, जबकि मसाले पौधे के अन्य भागों से (आमतौर पर सूखे) बने होते हैं, जिसमें बीज, छोटे फल, छाल और जड़ शामिल होते हैं।

1. दालचीनी

दालचीनी स्वाद में तीखी-मीठी होती है। यह ऊष्ण, दीपन, पाचक, मुत्रल, कफनाशक, स्तंभक गुणधर्मों वाली जड़ी-बूटी/मसाला है। यह मन की बेचैनी कम करती है, यकृत के कार्य में सुधार लाती है और स्मरण शक्ति बढ़ाती है। और पढ़िए

दालचीनी के लाभ

  1. पाचन विकार के लिए
  2. जुकाम के लिए
  3. स्त्रीरोग के लिए
  4. खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए

2. अदरक

अदरक तीखी और स्वाद में उग्र, तथा उष्ण और तेज गुणों वाली है। अदरक पाचक, सारक,अग्निदीपक, वेदनाशामक, कामोत्तेजक और स्वादिष्ट होती है। वायु और कफ का नाश करती है। अदरक का उष्मांक मूल्य 67 है।

अदरक के लाभ

  1. पाचन विकार के लिए
  2. सांस विकार के लिए
  3. स्त्री रोग के लिए
  4. वेदनाशामक

3. करी पत्ता

Curry leaves

करी पत्ता सुगंधित और बहुमुखी छोटे पत्ते होते हैं, जो कि एक साधारण से व्यंजन जैसे उपमा या पोहे को भी अत्यंत स्वादिष्ट बना सकते हैं। करी पत्ते अपने विशिष्ट स्वाद और रूप से भोजन में विशेष प्रभाव डालते हैं और भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा हैं। करी पत्तों का उपयोग चटनी और चूर्ण बनाने में भी किया जाता है जिन्हें हम चावल, डोसा और इडली इत्यादि के साथ प्रयोग करते हैं।

करी पत्ता के लाभ

  1. पाचन विकार के लिए
  2. स्वस्थ बालों के लिए
  3. कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण करने के लिए

4. इमली

भूरे रंग की कोमल फली के अंदर जो मांसल खट्टा फल होता है उसमें टारटारिक एसिड और पेक्टिन समाविष्ट है। आमतौर पर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय व्यंजनों में एक स्वादिष्ट मसाले के रूप में इमली का प्रयोग किया जाता है। खास तौर पर रसम, सांभर, वता कुजंबू , पुलियोगरे इत्यादि बनाते समय इमली उपयोग होती है और कोई भी भारतीय चाट इमली की चटनी के बिना अधूरी ही है। यहाँ तक कि इमली के फूलों को भी स्वादिष्ट पकवान बनाने के उपयोग में लिया जाता है।

इमली के लाभ

  1. पाचन विकार
  2. स्कर्वी
  3. सामान्य सर्दी को दूर करने के लिए
  4. पेचिश
  5. जलने पर

5. धनिया

Coriander leaves

बारीक छोटे टुकड़ों में कटे हुए धनिया के पत्तों को आपके गरम सूप के कटोरे या पसंदीदा पावभाजी के ऊपर छिड़कने से बहुत लुभावनी महक आती है और इसमें बहुत अधिक पोषक तत्त्व भी होते हैं। इसके पत्ते, बीज और जड़ें, प्रत्येक एक अलग स्वाद प्रदान करते हैं।

धनिया के लाभ

  1. मुंहासे और काले मस्से
  2. सिरदर्द
  3. अतिसार और एलर्जी
  4. मुंह से दुर्गंध और अल्सर

6. लहसुन

लहसुन, प्याज की जाति की वनस्पति है। इस वनस्पति में एक तीव्र गंध होती है जिसके कारण इसे एक औषधि का दर्जा दिया गया है। दुनियाभर में लहसुन का उपयोग मसाले, चटनी, सॉस, अचार तथा दवाओं के तौर पर किया जाता है।

लहसुन के लाभ

  1. सांस के विकार, दमा
  2. पाचन विकार
  3. उच्च रक्त चाप
  4. हृदय रोग
  5. कैंसर
  6. त्वचा विकार

7. दही

ठंडा और स्वादिष्ट दही किसे पसंद नहीं है? दही किसी भी चीज के साथ खाइए, उसका स्वाद बढ़ता ही है। दही ना ही सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाता है, बल्की उसे पौष्टिक भी बनाता है।

दही​ की 6 विशेषताएँ

  1. पेट भरे रहने का अनुभव होता है
  2. पर्याप्त प्रोटीन से युक्त आहार है
  3. ऊर्जा से भरपूर आहार है
  4. रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है
  5. मधुमेह को नियंत्रण में रखता है
  6. पाचन क्रिया में सुधार करता है

8. खजूर

खजूर का पेड़ 30-40 फीट तक बढ़ता है। इसका तना शाखाविहीन, कठोर, गोलाकार और खुरदरा होता है। इसकी उपज रेगिस्तान में, कम पानी और गर्म मौसम की जगह में होती है। नारियल के समान इसके पेड़ के ऊपरी भाग में पत्तों के नीचे खजूर लगते हैं। और पढ़िए

खजूर​ की 6 विशेषताएँ

  1. खून की कमी को ठीक करता है
  2. गठिया
  3. महिलाओं के पैरदर्द, कमर दर्द
  4. कब्ज
  5. पाचन विकार
  6. आंतव्रण, अम्लपित्त

रसोई के मसाले पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भारत में हल्दी लगभग हर रोज खाने में इस्तेमाल होती है। हल्दी भारत में होने वाली सबसे ताकतवर जड़ी बूटियों में से एक है।
“जड़ी-बूटी विज्ञान में पौधों के बारे में पढ़ा जाता है। आम तौर पर, वनस्पतिशास्त्री जादुई काढ़े और दवाइयां बनाने के लिए अलग-अलग जाति के पौधों को पहचानते हैं और उन्हें इकट्ठा करते हैं। इन पौधों को ‘जड़ी-बूटी’ कहते हैं।”
गुड़मार, शुगर या डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए सबसे अच्छी औषधि है श्री श्री तत्त्वा की दवाई महंतका वटी जो हल्दी, जामुन और गुड़मार से बनती है और जो डायबिटीज से लड़ने में सबसे लाभदायक आयुर्वेदिक दवा है।
कुछ जाने-माने औषधि पौधे है 
दूब घास ( cynodon dactylon), तुलसी (ocimum sanctum), नीम (Azadirachta indica), ब्राम्ही/ बेंग साग (hydrocotyle asiatica), हल्दी (curcuma longa), चिरायता / भुईनीम (Andrographis paniculata), अडूसा:सदाबहार (Catharanthus roseus), सहिजन / मुनगा(Moringa oleifera), हडजोरा करीपत्ता (Maurraya koengii), दूधिया घास (Euphorbia hirat), मीठा घास(Scoparia dulcis ), भुई आंवला (phyllanthus niruri), अड़हुल (Hisbiscus rosasinensis), घृतकुमारी/ घेंक्वार (Aloe vera), महुआ (madhuka indica), आंवला (Phyllanthus emblica), पीपल (Ficus religiosa),अमरुद (Psidium guayava), कंटकारी/ रेंगनी (Solanum Xanthocarpum), जामुन (Engenia jambolana), इमली (Tamarindus indica), अर्जुन (Terminalia arjuna), बहेड़ा (Terminalia belerica), हर्रे (Terminalia chebula), मेथी (Trigonella foenum), सिन्दुआर/ निर्गुण्डी (Vitex negundo), चरैयगोडवा (Vitex penduncularis), बैर (ज़िज्य्फुस jujuba) और बांस (Bambax malabaricum)
छाया देने वाले पेड़ों के कुछ नाम:

आम का पेड़, नीम का पेड़, बरगद का पेड़, पीपल पेड़, शीशम वृक्ष, करंज का पेड़, अर्जुन का पेड़, कदम का पेड़, देवदार वृक्ष, महुआ, ओक पेड़, कटहल का पेड़, गुलमोहर वृक्ष, शिरीष का पेड़, मौलश्री या बकुल का पेड़ और पुत्रजीवक का पेड़।
भृंगराज को जड़ी बूटी का राजा कहा जाता है। भृंगराज एक ऐसा औषधीय पौधा है जो बहुत सी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।

इसके अत्यधिक उपयोगी होने के कारण इसे जड़ी बूटी का राजा कहा जाता है। भृंगराज में एंटी-ऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं जो शरीर को हानि पहुचानें वाले तत्वों से लड़ते है और हमारे अंगो की रक्षा करते है।
आयुर्वेदिक दवाओं का प्रभाव ज्यादा टिकाऊ होता है।आयुर्वेदिक दवाई का असर थोड़ा देरी से होता है क्योंकि ये रोग की गहराई में जाकर उसे जड़ से खत्म करती है।

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